"क्या मृत्यु के बाद भी जीवन है?"

"क्या आपने कभी सोचा है कि मृत्यु के बाद हमारी चेतना कहां जाती है? क्या पुनर्जन्म एक वास्तविकता है? क्या मर चुके व्यक्ति क्या पुनः जन्म लेते हैं? आज इन सवालों के उत्तर जानेगे। आज हम एक ऐसे विषय पर चर्चा  चर्चा करेंगे जो हर किसी के जीवन में कभी न कभी सवाल बनकर उभरता है, मृत्यु और पुनर्जन्म।



क्या होता है जब हम इस शरीर को छोड़ते हैं? क्या आत्मा कहीं जाती है, या यह केवल कल्पना है? क्या मृत्यु के बाद जीवन समाप्त हो जाता है, या आत्मा की यात्रा जारी रहती है? आईए, इस विषय पर चर्चा करते हैं, जिसे जानने की जिज्ञासा हम सभी में है।


मृत्यु के समय चेतना का क्या महत्व है?

एक बार महर्षि वशिष्ठ ने श्री राम को पुनर्जन्म के विषय में बताया कि, हे राम! मनुष्य का मन अनेक इच्छाओं और वासनाओं की पूर्ति वाली योनियों और शरीरों में उसी प्रकार चला जाता है, जिस प्रकार एक पक्षी एक वृक्ष को छोड़कर फल की आशा से दूसरे वृक्ष पर जा बैठता है। परंतु यह बात श्री राम की समझ में नहीं आई। उन्होंने अपने शंका महर्षि के सामने प्रकट करी और कहा, कि कोई भी मनुष्य शरीर छोड़ने के बाद भी अपने से निम्न योनियों में कैसे जा सकता है, क्योंकि कर्मों का फल भी मनुष्य जन्म में ही मिल सकता है क्योंकि मनुष्य भावनात्मक रूप और मानसिक रूप से ज़्यादा परेशान हो जाता है। 

वही उसके कर्मों का फल है। लेकिन डॉक्टर स्टीवन के अनुसार मृत्यु के समय व्यक्ति की जैसी बुद्धि होती है वैसा ही अगला जनम होता है।  गीता में कहा गया है कि अंतिम क्षणों में जो विचार होते हैं, वही आत्मा को प्रभावित करते हैं।

इसके कई उदाहरण इतिहास में हैं, जो यह सोचने पर विवश करते हैं कि सचमुच ही कर्मफल जैसी कोई ईश्वरीय व्यवस्था भी है, जो इच्छा शक्ति से जीव को सैकड़ो योनियों में भ्रमण कराती व घूमाती रहती है। पद्मपुराण के अनुसार सोमशर्मा नामक तपस्वी अपने जीवन के अंतिम समय में जब अपनी साधना कर रहे थे तब दैत्यों की टोली ने उन्हें मार दिया। वही शरीर मृत्यु के बाद प्रहलाद के रूप में प्रकट हुआ। 

स्कंद पुराण के अनुसार देव ब्राह्मण बहुत बड़ा जुआरी था। एक दिन उसने अपने धन का एक अंश शिव प्रतिमा को चढ़ा दिया। जिससे उसे तीन घड़ी के लिए स्वर्ग का शासन मिला। उस तीन घड़ी में वह स्वर्ग की बहुमूल्य वस्तुओं का लगातार दान करता रहा। जीससे वह अगले जन्म में महादानी बाली बना।

पुनर्जन्म सिर्फ एक धारणा नहीं है; यह आत्मा की अनंत यात्रा का हिस्सा है। हमारे कर्म, इच्छाएं और मानसिक स्थिति इस यात्रा को आकार देते हैं। इसलिए, अच्छे कर्म करें और सकारात्मक विचार रखें।

Post a Comment

0 Comments