लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत विश्वविद्यालय में मना उड़ीसा दिवस

(प्रज्ञा अवतार संवाददाता)
नई दिल्ली, 4 अप्रैल। श्री लाल बहादुर शास्त्री केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में उड़िया छात्रों की सर्वाधिक संख्या को देखते हुए "उड़ीसा दिवस" धूमधाम से मनाया गया। विश्वविद्यालय में उड़ीसा के चार सौ से ज्यादा छात्र-छात्राएं हैं। 

मुख्य वक्ता के रूप में अर्जेंटीना के पूर्व राज्यपाल एवं पूर्व विदेश सचिव अमरेंद्र खटुआ ने उड़ीसा के वीर सपूतों की जानकारी देते हुए कहा कि देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में उड़ीसा के लोग भारतीय संस्कृति का परचम लहरा रहे हैं। 
समारोह  में विश्वविद्यालय के कुलपति डा. मुरली मनोहर पाठक ने कहा कि दिल्ली में लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत केंद्रीय विश्वविद्यालय एकमात्र ऐसा शिक्षण संस्थान है जिसमें  भारतीय संस्कृति एवं क्षेत्रीय भाषाओं के आधार पर सांस्कृतिक कार्यक्रम मनाए जाते हैं ताकि अनेकता में एकता का दर्शन हो सके। है। डा.पाठक ने अपना संबोधन उड़िया भाषा में दिया। 
सांसद जनार्दन सिग्रीवाल ने कहां कि छठ पूजा के माध्यम से बिहार के लोगों ने पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान बनाई है ठीक उसी तरह से उड़ीसा के लोगों ने भी अपनी भाषा और संस्कृति के माध्यम से पूरे विश्व में अलग स्थान बना लिया है। लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत विश्वविद्यालय में उसकी झलक साफ दिखाई देती है।
समारोह के संयोजक डा. धर्मानंद राउत ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय के नए दिशा निर्देशों के तहत भारतीय ज्ञान प्रणाली (आइकेएस) में सबसे ज्यादा रुचि उड़ीसा एवं अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के लोग ले रहे हैं। 
अन्य वक्ताओं में कुलसचिव संतोष कुमार श्रीवास्तव, ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष डा. विनोद कुमार शर्मा, शिव शंकर मिश्रा, देवेंद्र नाथ रावत, दिनेश यादव व सौम्य रंजन भी थे।  समारोह में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को भी आना था लेकिन उनके परिवार में कोई दु::खद घटना होने के कारण नहीं आ सके। सौम्य रंजन बरपांडा के नेतृत्व में शांतनु दास, विभूति साहू, देवेंद्र बिस्वाल, पल्लवी जेना, अलिसा प्रधान, चिन्मयी, नीलांबर दास, चंदन राणा व अजय भोई ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए।

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