(ज्ञानेंद्र सिंह)
नई दिल्ली, 18 मार्च । योग गुरु बाबा रामदेव के बाद एक बार फिर कुछ आयुर्वेदाचार्यों ने कैंसर के उपचार को लेकर एलोपैथी चिकित्सा पर कई सवाल खड़े किए हैं। हिम्स अस्पताल समूह के अध्यक्ष आचार्य मनीष और डा. बिस्वरूप राय चौधरी ने दावा किया है कि अंग्रेजी चिकित्सा पद्धति के उपचार से कैंसर बढ़ रहा है।
उल्लेखनीय है कि कुछ समय पहले बाबा रामदेव ने भी इसी तरह का दावा किया था। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में प्राकृतिक एवं आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने यह भी ऐलान किया है कि अंग्रेजी चिकित्सा पद्धति से यदि एक भी कैंसर रोगी ठीक हुआ हो तो उसे हमारे समक्ष लाया जाए, हम 10 लाख रुपए का पुरस्कार देंगे।
हिम्स अस्पताल की देशभर में 50 से ज्यादा इकाइयां हैं जिनमें कैंसर सहित उन तमाम असाध्य रोगियों का उपचार हो रहा है जिन्हें अंग्रेजी चिकित्सा से राहत नहीं मिली है। इस अस्पताल के बैनर तले आयुर्वेदाचार्यों ने कहा है कि बायप्सी, पेट स्कैन, मैमोग्राम, कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी और कैंसर सर्जरी से कैंसर रोगियों की स्थिति सुधरने के बजाय बिगड़ रही है और मृत्यु दर बढ़ रही है। उन्होंने यह भी दावा किया है कि एलोपैथिक उपचार से कैंसर रोगियों की जीवन शैली की गुणवत्ता भी खराब हो रही है और अंग्रेजी चिकित्सा पद्धति से कैंसर डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट पूरी तरह असफल है।
नेचुरोपैथी एवं आयुर्वेद विशेषज्ञों ने एम्स एवं अपोलो जैसे प्रतिष्ठित अस्पतालों में कैंसर का इलाज करने वाले उन मरीजों की भी चर्चा की जिन्हें लाखों रुपए खर्च करने के बाद कोई लाभ नहीं मिला और प्राकृतिक एवं आयुर्वेदिक चिकित्सा से लाभ पहुंचा है। उत्तर प्रदेश के विधायक अनिल शर्मा, सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय, निशामणि (उड़ीसा), प्रतिभा सामल (दुबई), चंद्रावती (हरियाणा), अंबिका पुरी (चंडीगढ़) एवं इंदिरा शर्मा (उत्तराखंड) की कैंसर हिस्ट्री बताते हुए आचार्य मनीष ने दावा किया है कि इन मरीजों का अंग्रेजी चिकित्सा पद्धति में उपचार खराब हुआ था लेकिन देशी पद्धति से न सिर्फ उनमें सुधार हुआ है बल्कि उन्हें शत प्रतिशत राहत भी मिली है।
इस मौके पर डा. चौधरी द्वारा लिखित "कैंसर क्योर" पुस्तक का विमोचन में हुआ।
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