(ज्ञानेंद्र सिंह)
नई दिल्ली, 29 मार्च। वैसे तो हर वर्ष हिंदू नव वर्ष मनाने के लिए चैत्र नवरात्रों का विशेष महत्व है, लेकिन इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नवरात्रों के प्रति लोगों की अटूट आस्था को और ज्यादा प्रगाढ़ करेंगे। पहला दिन वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (मुख्यालय) में बिताएंगे और अंतिम दिन (रामनवमी) को वे रामेश्वरम में रहेंगे।
धार्मिक, आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक दृष्टि से चैत्र के नवरात्रों का विशेष महत्व है और पूरे 9 दिन तक करोड़ों लोग समर्पण भाव से शक्ति स्वरूपा देवी की उपासना, साधना एवं आराधना करते हैं। इन नौ दिनों का अधिकतम लाभ लेने के लिए लोग व्रत रखकर तरह-तरह के अनुष्ठान करते हैं। लेकिन इस बार यह 9 दिन प्रधानमंत्री मोदी के लिए भी विशेष महत्व के होंगे। चैत्र प्रतिपदा के पहले दिन शैलपुत्री माता की पूजा होती है और अंतिम दिन (रामनवमी) माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। बीच के दिनों में क्रमशः मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कुष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यानी, मां कालरात्रि एवं मां महागौरी की पूजा होती है।
यह एक संयोग ही है कि प्रधानमंत्री मोदी इस बार हिंदू नव वर्ष की शुरुआत मां शैलपुत्री की पूजा वाले दिन संघ मुख्यालय (नागपुर) में होंगे और उनकी मुलाकात संघ प्रमुख मोहन भागवत व अन्य पदाधिकारियों से होगी। इस मुलाकात को लेकर राजनीतिक हलकों में तरह-तरह की चर्चा जोरों पर है। हालांकि उनका सरकारी कार्यक्रम एक अस्पताल का उद्घाटन करना है। उसी दिन वे संघ के संस्थापक और पहले सरसंघ चालक केशव बलिराम हेडगेवार को श्रद्धांजलि भी देंगे। लेकिन भाजपा सहित तमाम राजनीतिक दलों में मोदी के नागपुर कार्यक्रम को लेकर तरह-तरह की चर्चा है क्योंकि प्रधानमंत्री बनने के बाद वे पहली बार संघ मुख्यालय का दौरा करेंगे। श्री भागवत से मोदी की आखिरी मुलाकात राम मंदिर उद्घाटन के दौरान 22 जनवरी को अयोध्या में हुई थी।
प्रधानमंत्री का दूसरा संयोग नवरात्र के अंतिम दिन को लेकर है जब वे सिद्धिदात्री मां की पूजा के दिन यानी रामनवमी को रामेश्वरम में होंगे और वहां पर देश के पहले सबसे लंबे वर्टिकल रेलवे पुल का उद्घाटन करेंगे। इन दोनों कार्यक्रमों को लेकर महाराष्ट्र एवं तमिलनाडु सरकार के अलावा केंद्र सरकार के विभिन्न एजेंसियां तैयारी कर रही है।
नवरात्र के पहले दिन शैलपुत्री माता की पूजा करने से साधकों को सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं। उस दिन गाय के घी-दूध से बने व्यंजनों का प्रसाद चढ़ता है। नवे दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा होती है जिसमें साधकों को सभी सिद्धियां एवं ऋद्धियां प्राप्त होती है। इस दिन खीर का भोग लगाया जाता है।
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