शेखावत ने किया सनातन संस्कृति पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उदघाटन

(प्रज्ञा अवतार संवाददाता)
हरिद्वार, 18 अप्रैल। केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा है कि जब दुनिया के लोग अपने जीवन एवं अस्तित्व के लिए संधर्षरत थे, तब भारत के ऋषि-मुनियों ने विश्व कल्याण के लिए तप साधना कर विभिन्न वेद शास्त्रों एवं ग्रंथों की रचना की, जो सनातन संस्कृति के संवाहक बनें।

उक्त विचार उन्होंने पिछले दिनों शांति कुंज स्थित देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय एकता और सनातन संस्कृति विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का उदघाटन करते हुए व्यक्त किए। श्री शेखावत ने कहा कि आज पूरा विश्व टकराव, पर्यावरण, मानसिक स्वास्थ्य आदि विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रहा है तब इसका एकमात्र समाधान भारतीय संस्कृति-सनातन संस्कृति में संव्याप्त है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि भारतीय सनातन संस्कृति के वैभव, उत्कर्ष एवं उत्थान के लिए यह अत्यंत आवश्यक है। देश में सनातन संस्कृति के संरक्षण और प्रचार-प्रसार की दिशा में सभी को मिलकर काम करना चाहिए।
देसंविवि के प्रति कुलपति युवा आइकान डॉ चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि वर्तमान समय में भारतीय सनातन संस्कृति के पुर्नजागरण को लेकर भारत का भविष्य लिखा एवं गढ़ा जा रहा है, ऐसे समय में भारत के गौरवशाली अतित से कुछ सीखना अनिवार्य हो जाता है।
 हरिद्वार सांसद त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए युवाओं को आगे आने के लिए प्रेरित किया।  हंस फाउंडेशन की संस्थापिका माता मंगला जी ने कहा कि सनातन संस्कृति पर आयोजित यह कार्यशाला निश्चित रूप से सफल साबित होगी।
 सम्मेलन में हंस फाउंडेशन के भोलेजी महराज, विधायक मदन कौशिक, मेयर किरण जैसल, शांतिकुंज व्यवथापक योगेन्द्र गिरि, कुलपति शरद पारधी, हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के अध्यक्ष डॉ. विजय धस्माना, दून विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल, जीबी पंत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.एम.एम चौहान ने भी विचार व्यक्त किए।

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